नई कार की सर्विसिंग कब करानी चाहिए?

अच्छी सर्विस करवाना उतना इम्पोर्टेन्ट है जितना इंसान के लिए अच्छा खाना अगर आपने हाल ही में एक नई कार खरीदी है, तो सबसे पहला सवाल जो दिमाग में आता है उसे सुरक्षित बनाये रखने की जिसके लिए उसका पहला कदम है गाड़ी की सर्विसिंग । यदि आप अपनी नई कार को चमचमाती हुई देखना चाहते है तो उसकी लंबी उम्र और अच्छी परफॉर्मेंस के लिए समय पर और सही तरीके से सर्विस कराना बेहद जरूरी होता है। बहुत से लोग पहली सर्विस को हल्के में ले लेते हैं, और गाड़ी को चलाते रहते है  लेकिन उनकी यह  एक छोटी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है।

पहली सर्विस का जो समय निर्धारित किया गया है वो है 1000 से 1500 किलोमीटर या 1 महीने में (जो पहले हो) करानी चाहिए। क्या होता है पहली सर्विस में?

1-इंजन ऑयल और फिल्टर की जांच होती है इसमे केवल ऑयल की जाच होती है उसे बदल नहीं जाता है । 

2-कार के नट-बोल्ट और अन्य पुर्जों की टाइटनिंग किया जाता है जो ढीले ढाले हो गये हो ।

3- टायर प्रेशर और टायर अलाइन्मेंट

4- ECU (Electronic Control Unit) स्कैन किया जाता है

5- गाड़ी के अंदर कोई वाइब्रेशन, शोर या लीकेज तो नही

पहली  सर्विस फ्री होती है लेकिन अगर आप कुछ एक्स्ट्रा काम गाड़ी मे करवाते हैं, जैसे गाड़ी धुलवाना, तो उसका चार्ज अलग से देना होता  है।

2. दूसरी सर्विस

दूसरी सर्विस का जो समय निर्धारित किया गया है वो है 5000 से 7500 किलोमीटर या 6 महीने में जरूरी होता है इस सर्विस मे जिन चीजों पर ध्यान दिया जाता है वो नीचे दिया गया है ।  

  • इंजन ऑयल और ऑयल फिल्टर बदलना
  • एयर फिल्टर और केबिन फिल्टर की सफाई
  • बैटरी चेक और ग्रेसिंगफुल व्हीकल स्कैनिंग

3.तीसरी सर्विस

तीसरी सर्विस का जो समय निर्धारित किया गया है वो है 10,000 से 15,000 किलोमीटर या 12 महीने में इस सर्विस मे जिन चीजों पर ध्यान दिया जाता है वो नीचे दिया गया है 

  • सभी पुराने फ्लूड्स बदलना (engine oil, brake oil, coolant
  • गाड़ी की डीप क्लीनिंग
  • कंप्यूटर डायग्नोस्टिक टेस्ट
  • फ्यूल सिस्टम की जांच
  • वाइपर ब्लेड और लाइट सिस्टम की जांच

क्यों ज़रूरी है समय पर सर्विसिंग?

समय पर सर्विसिंग गाड़ियों के लाइफ को  लॉन्ग टाइम तक बनाये रखने के लिए जरूरी होती है इसमे हमारे गाड़ी को जो समय समय पर जररूरी होता है वो सारी चीजे दी जाती है जैसे की नीचे निम्न है 

  • इंजन की लाइफ लंबी होती है

  • माइलेज बेहतर रहता है

  • संभावित खराबियों का समय रहते पता चलता है

  • गाड़ी की रीसेल वैल्यू बेहतर रहती है

  • वारंटी शर्तों का पालन होता है

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